1. पहला दिन: चेस्ट डे (Chest Day)



फ्लैट बार्बेल बेंच प्रेस, 10 रेप्स के 3 सेट (Flat Barbell Bench Press)
इंक्लाइन डम्बल बेंच प्रेस, 10 रेप्स 3 सेट (Incline Dumbbell Bench Press)
मशीन चेस्ट फ्लाय, 10 रेप्स के 3 सेट (Machine Chest Fly)
पुश-अप, 50 (Push-Ups)
कार्डियो, 15-20 मिनट (Cardio)
चेस्ट के लिए बेस्ट एक्सरसाइज और बेंच प्रेस के बारे में अधिक जानने के लिए नीचे दी हुई लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।
ये 10 बेस्ट चेस्ट एक्सरसाइज़ करके बनाएं मजबूत और चौड़ा सीना
बेंच प्रेस से अपर बॉडी होती है टोन, जानिए क्या है इसे करने का सही तरीका और वेरिएशन्स

2. इंक्लाइन बार्बेल प्रेस (Incline Barbell Press)

इस एक्सरसाइज में आपकी बेंच का एंगल 45-35 डिग्री ऊपर की ओर रखें । फिर बार्बेल में वेट डालकर उसे ऊपर की ओर लिफ्ट करते हुए धीरे-धीरे नीचे लाएं। इससे आपका अपर चेस्ट ट्रेन होगा।

Reps:15,10,8 रेप्स के 3 सेट 

अपनी कैपेसिटी के मुताबिक वेट से लगाएं। फिर धीरे-धीरे लास्ट सेट तक थोड़ा-थोड़ा वेट बढ़ाएं। ज्यादा हैवी वेट लिफ्ट न करें नहीं तो इंजुरी की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।


3. फ्लैट बेंच डंबल प्रेस (Flat Bench Dumbbell Press)


ये एक्सरसाइज भी बेंच प्रेस की कैटगरी में आती है लेकिन इसमें हम बार्बेल की जगह डंबल का यूज करते हैं। फ्लैट बेंच डंबल प्रेस एक्सरसाइज बार्बेल की अपेक्षा कठिन है क्योंकि वेटे वाले डंबल को ऊपर की ओर लिफ्ट करना कठिन होता है। इस एक्सरसाइज में आप फुल मोशन के साथ अपने मसल्स को ट्रेन करते हैं। 

Reps:

15,10,8 रेप्स के 3 सेट अपनी कैपेसिटी के मुताबिक वेट से लगाएं। धीरे-धीरे डंबल को ऊपर लेकर जाएं और वैसे ही नीचे शोल्डर लेवल के थोड़े नीचे तक लेकर आएं और पूरे कन्सनट्रेशन के साथ मसल्स पर वेट फील करते हुए रेप्स पूरे करें।

IMP : इलेक्ट्रोमोग्राफी (Electromyography) से बार्बेल बेंच प्रेस और फ्लैट बेंच डंबल प्रेस के बीच मसल्स एक्टीवेशन (Muscle Activation) और मूवमेंट की जांच (Analysis) में कोई खास अंतर नहीं पाया गया था।


4. डिक्लाइन बार्बेल प्रेस

 (Decline Barbell Bench Press)


इस एक्सरसाइज में आपकी बेंच का एंगल 15-20 डिग्री नीचे की ओर होना चाहिए। फिर बार्बेल में वेट डालकर उसे ऊपर की ओर प्रेस करते हुए धीरे-धीरे चेस्ट के निचले हिस्से तक लाएं। इससे आपका लोअर चेस्ट ट्रेन होगा।

Reps:15,10,8 रेप्स के 3 सेट अपनी कैपेसिटी के मुताबिक वेट से लगाएं। फिर धीरे-धीरे लास्ट सेट तक थोड़ा-थोड़ा वेट बढ़ाएं।


5. सीटेड मशीन चेस्ट प्रेस VV

(Seated Chest Machine Press)

फ्लैट बेंच पर फ्री-वेट प्रेसिंग मूव्स मसल्स के लिए अच्छे होते हैं लेकिन मशीन प्रेस के कुछ ज्यादा फायदे होते हैं। इस एक्सरसाइज में चेस्ट को स्क्वीज (Squeeze) करते हुए अंदर की ओर हार्ड प्रेस करना है और धीरे-धीरे बाहर की ओर शोल्डर तक लाना है। इस एक्सरसाइज में इंजुरी के चांस बहुत कम होते हैं और इससे आपका पूरा चेस्ट ट्रेन होगा।

Reps:

15,10,8 रेप्स के 3 सेट अपनी कैपेसिटी के मुताबिक वेट से लगाएं। फिर धीरे-धीरे लास्ट सेट तक थोड़ा-थोड़ा वेट बढ़ाते हुए सेट्स को खत्म करें।


6. इंक्लाइन डंबल प्रेस 

(Incline Dumbbell Press)


इस एक्सरसाइज में आपकी बेंच का एंगल 45-35 डिग्री ऊपर की ओर होगा। अपनी क्षमता के मुताबिक चेस्ट को दोनों ओर से स्क्वीज करते हुए डंबल को लिफ्ट करना है। इससे आपका अपर चेस्ट ट्रेंन होगा।

Reps:

15,10,8 रेप्स के 3 सेट लगाएं और फिर लास्ट सेट तक धीरे-धीरे वेट बढ़ाते जाएं। कैपिसिटी से ज्यादा हैवी वेट लिफ्ट न करें नहीं तो इंजुरी की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।


7. चेस्ट डिप्स (Chest Dips)

स एक्सरसाइज को करना थोड़ा कठिन होता है और इस कारण कई लोग इसे नहीं करते क्योंकि इसमें आपको अपनी बॉडी को अपने हाथों के सहारे लिफ्ट करना होता है। इस एक्सरसाइज से लोअर चेस्ट का शेप आता है।

इसे करने के लिए अपने पैरों को पीछे की ओर रखें और जहां तक संभव हो सके झुककर अपनी बॉडी को धीरे-धीरे लिफ्ट करें।

Reps:

शुरुआत में चेस्ट डिप्स लगाना कठिन होगा इसलिए 5 रेप्स से बढ़ाते हुए धीरे-धीरे 15 रेप्स तक पहुंचें।

8. इंक्लाइन केबल फ्लाय

 (Incline Cable Fly)


इस एक्सरसाइज में आपके पेक्टोरल माइनर मसल्स ट्रेंन होंगे। चेस्ट की चौड़ाई बढ़ाने के लिए ये बेस्ट एक्सरसाइज है। आप खड़े होकर आगे की ओर 60 डिग्री (60 Degree) झुककर या फिर बेंच पर लेटकर भी लगा सकते हैं।

बस ध्यान रखना है जब आप वेट आगे की ओर लिफ्ट करें तब अपने हाथों से चेस्ट को दोनों तरफ से अंदर की ओर स्क्वीज (Squeeze) करना होगा।

Reps:

15,10,8 रेप्स के 3 सेट अपनी कैपेसिटी के मुताबिक वेट से लगाएं।

9. इंक्लाइन डंबल पुलओवर (Incline Dumbbell Pullover)

फ्लेट बेंच पुलओवर को भूल जाइये, क्योंकि इंक्लाइन डंबल पुल-ओवर आपके चेस्ट के फाइबर को अच्छे से ब्रेक करता है जिससे आपको अच्छा शेप मिलता है। इसके लिए आपकी बेंच का एंगल 45 डिग्री (45 Degree) ऊपर की ओर होना चाहिए। बस ध्यान रखना है कि इसमें आपकी कोहनी (Elbows) न मुड़ें। 

Reps:

15,10,8 रेप्स के 3 सेट अपनी कैपेसिटी के मुताबिक वेट से लगाएं।

10. पुशअप (Push up)

इस एक्सरसाइज को घर में भी किया जा सकता है। ये आपकी चेस्ट के लोअर, मिडिल और अपर पार्ट के लिए बेस्ट एक्सरसाइज है। इसमें आप अपनी पीठ पर वेट भी रख सकते हैं।

Reps:

15 रेप्स के 3 सेट या उससे ज्यादा भी लगा सकते हैं। क्योंकि इसमें इंजुरी के चांसेज बहुत कम होते हैं।

इन एक्सरसाइजेस के बारे में जानकर अब आप समझ ही गए होंगे कि कैसे इनको अपने जिम रुटीन में एड करना है। फिर आज से ही शुरू करें ये एक्सरसाइजेस जिससे कुछ ही समय में आपको मिलेगा हैवी मस्कुलर चेस्ट। यदि आपको भी हमारे इस आर्टिक्ल्स से कोई हेल्प मिली हो तो हमारे साथ आपके एक्सपीरियंस शेयर करें, हम आपके सिलेक्टेड सजेशन्स को हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर करेंगे।

कूलडाउन करते समय न करें ये गलतियां, वरना मसल्स रिकवरी हो सकती है स्लो

आदि वो तरीके हैं, जिससे किसी को भी स्वस्थ रहने में मदद मिल सकती है। रोजाना वर्कआउट करने के भी कई फायदे होते हैं। लेकिन वर्कआउट के बाद मसल्स रिकवरी भी काफी जरूरी होती है।

वर्कआउट के बाद मसल्स रिकवरी के लिए, कुछ लोग सोर मसल्स में आराम देने वाले फूड (Sore muscle foods) का सेवन करते हैं; तो कुछ हाई प्रोटीन डाइट (High protein diet) का सेवन करते हैं। मसल्स रिकवरी में कुछ विटामिन (Muscle recovery after workout) भी मदद कर सकते हैं।

वर्कआउट के बाद मसल्स रिकवरी के लिए गहरी नींद (Sleep for muscle recovery after workout) भी जरूरी है, जिसके लिए सोने के ये तरीके (Ways to sleep) भी अपना सकते हैं। 

वर्कआउट के बाद मसल्स रिकवरी और इंजुरी (Muscle recovery and injury) से बचने के लिए कूल डाउन प्रोसेस भी करनी होती है। कूलिंग डाउन प्रोसेस आपकी हृदय गति (Heart rate) को धीरे-धीरे कम करने के लिए पर्याप्त समय देता है, जो आपके शरीर को रिकवरी मोड में ले जाता है। 

कूल डाउन जब सही तरीके से किया जाता है, तो  इसके अलावा स्टैटिक स्ट्रेचिंग (Static stretching) या फोम रोलिंग (Foam rolling) शामिल है, जो थके हुए मसल्स को आराम देते हैं।

कूल डाउन के दौरान होने वाली गलतियां (Mistakes made during cool down)

कूल डाउन में भले ही इसमें केवल कुछ मिनट लगते हैं, लेकिन वर्कआउट के बाद यह काफी जरूरी है। हो सकता है आप कूल डाउन की प्रोसेस के दौरान कुछ गलतियां कर रहे हों, जिस कारण से बॉडी सही से रिकवर नहीं हो पा रही हो।

1. हर वर्कआउट के बाद कूलडाउन न करें (Not cooling down after every workout)


ज्योफ ट्रिप (Geoff Tripp), CSCS, ट्रेनियाक में फिटनेस साइंस के हेड के मुताबिक, एक्सरसाइज के बाद कम से कम पांच मिनट का क्विक कूलडाउन प्रोसेस करने से मसल्स रिकवरी की प्रोसेस बढ़ जाती है। 

एक्सरसाइज के दौरान आपका शरीर कई तनावपूर्ण प्रक्रियाओं से गुजरता है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन के अनुसार, वर्कआउट के दौरान जो टेंशन क्रिएट होती है उस दौरान कैमिकल ब्रेक होते हैं, जो कि मसल्स में दर्द और थकान पैदा करते हैं। 

एक एक्टिव रिकवरी करने वाला कूलडाउन करके, उसके बाद स्ट्रेच करके मसल्स रिकवरी प्रोसेस की ओर आगे बढ़ सकते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर एक्सरसाइज के बाद कूलडाउन करें। बल्कि वर्कआउट खत्म होने के बाद सिर्फ 10 मिनट इस प्रोसेस को दें। 

2. अचानक से अपना वर्कआउट बंद कर देना (Stopping your workout Suddenly)

वर्कआउट के बाद कूलडाउन सबसे पहले शरीर के तापमान और ब्लड प्रेशर को नॉर्मल करता है। फिर शरीर को वर्कआउट रिकवरी मोड में लेकर जाता है।

लेकिन ऐसा करने के लिए आपको तुरंत किसी वर्कआउट को बंद नहीं करना चाहिए। उदाहरण के लिए आप यदि स्पीड में साइकिल चला रहे हैं और अचानक से ब्रेक लगा देंगे तो साइकिल गिर जाएगी। आप गिरें न इसके लिए धीरे-धीरे ब्रेक लगाने होंगे। 

उसी तरह आपको वर्कआउट करना अचानक बंद नहीं करना है, बल्कि धीरे-धीरे वर्कआउट की तीव्रता को कम करना होगा, यह वर्कआउट सेशन को समाप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है। 

यदि आप दौड़ रहे हैं, तो धीरे-धीरे जॉगिंग पर आएं फिर तेज चलने पर आएं और फिर धीरे-धीरे अपनी स्पीड को कम करते हुए रुकें। ऐसा करने से शरीर और दिमाग को शांत करने में मदद करेगी और प्रॉपर कूलडाउन होगा। 

3. ठीक से स्ट्रेचिंग नहीं करना (Not stretching properly)

मांसपेशियों में दर्द सबसे आम कारणों में से एक है, जो लोग अपने वर्कआउट को छोड़ देते हैं या फिर लंबे समय के बाद वर्कआउट करते हैं। वर्कआउट में होने वाले इस टेंशन को क्रिएट करने के लिए वर्कआउट के बाद स्ट्रेचिंग करना चाहिए।

स्ट्रेचलैब के सर्टिफाइड पर्सनल ट्रेनर और एजुकेशन कोऑर्डिनेटर केल्सी डेकर (Kelsey Decker) के मुताबिक,  "वर्कआउट के दौरान, आपके मसल्स टिश्यूज में छोटे-छोटे टियर्स आने लगते हैं, जो इंटेंस वर्कआउट और रेजिस्टेंस ट्रेनिंग के कारण आते हैं। 

आपका शरीर भी लैक्टिक एसिड का उत्पादन करना शुरू कर देता है, जिससे कसरत के बाद मांसपेशियों में दर्द होता है। स्ट्रेचिंग और फोम रोलिंग के माध्यम से ब्लड और ऑक्सीजन को बढ़ाकर आपके शरीर को रिलेक्स करने और इंजुरी से बचने में मदद करते हैं।

4. फोम रोलर का उपयोग नहीं करना (Not using a foam roller)

यदि आपने अभी तक फोम रोलिंग नहीं किया है, तो शुरू करने के लिए बेहतर समय नहीं है। 

जर्नल ऑफ एथलेटिक ट्रेनिंग में प्रकाशित जनवरी 2015 के एक अध्ययन में पाया गया कि फोम रोलिंग न केवल ज्वाइंट में रेंज ऑफ मोशन  में सुधार करता है बल्कि मसल्स सोरनेस को कम करता है और मसल्स रिकवरी को स्पीडअप करता है। 

फोम रोलिंग, बहुत अच्छा टूल है जो टाइट मसल्स की सेल्फ मसाज कर सकता है और मसल्स की मसाज को फोकस करता है।

फोम रोलिंग, मांसपेशियों पर दबाव डालकर और टाइट मसल्स को रिलीज करते हैं और वहां पर ब्लड फ्लो और ऑक्सीजन को बढ़ाने में सहायता करते हैं। इसलिए फोम रोलिंग का प्रयोग जरूर करें।



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